- पारिवारिक पृष्ठभूमि व बचपन
हिंदी फ़िल्मों के सुनहरे दौर से ही कपूर ख़ानदान को सिनेमा का पर्याय माना जाता है, और 25 जून 1974 को मुंबई में जन्मी करिश्मा कपूर—जिन्हें प्यार से “लोโล” कहा जाता है—इसी विरासत की अगली कड़ी हैं। पिता रणधीर कपूर (राज कपूर के ज्येष्ठ पुत्र) और माता बबीता शिवदासानी दोनों मशहूर अभिनेता‑अभिनेत्रियाँ रहे। छोटी बहन करीना कपूर ख़ान भी आज की शीर्ष अभिनेत्रियों में शुमार हैं। करिश्मा ने प्रारम्भिक शिक्षा कैथेड्रल एंड जॉन कनन स्कूल व बाद में मुंबई के सोफ़िया कॉलेज से ग्रहण की, पर अभिनय के जुनून ने उन्हें कॉलेज बीच में ही छोड़कर सोलह‑सत्रह साल की उम्र में फ़िल्म इंडस्ट्री में क़दम रखने को प्रेरित किया। - आरम्भिक करियर (1991–1994)
महज़ 17 वर्ष की आयु में करिश्मा ने प्रेम क़ैदी (1991) से पर्दे पर धमाकेदार प्रवेश किया। शुरुआती वर्षों में अनाड़ी, जिगर, मुकद्दर का सिकंदर जैसी फ़िल्मों ने उन्हें एक मसाला‑नायिका के रूप में स्थापित किया। हालाँकि आलोचकों को यह आशंका थी कि पारिवारिक नाम के बावजूद करिश्मा पारंपरिक ग्लैमर तक ही सीमित रह जाएँगी, पर 1994 की राजा बाबू और गोविंदा‑करिश्मा की सुपरहिट कॉमेडी जोड़ी ने इस धारणा को बदलना शुरू किया। - स्टारडम की ओर छलाँग (1995–1999)
1995 का वर्ष उनके करियर का मील‑पत्थर बना—राजा हिंदुस्तानी में उनके सुलझे अभिनय ने उन्हें फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार दिलाया। इसके बाद यश चोपड़ा की दिल तो पागल है (1997) ने न केवल उन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ सह‑अभिनेत्री) दिलाया, बल्कि नृत्य‑अभिनय के मेल में करिश्मा के कौशल को भी अमर कर दिया। इस दौर में बीवी नं. 1, कुली नं. 1, हीरो नं. 1, हम साथ‑साथ हैं जैसी फ़िल्मों ने बॉक्स‑ऑफ़िस पर लगातार सफलता दिलाई और करिश्मा 1990‑के दशक की सबसे व्यावसायिक रूप से सफल अभिनेत्रियों में गिनी जाने लगीं। - विविध भूमिकाओं की तलाश (2000–2003)
नई सहस्राब्दी की शुरुआत में उन्होंने चुनौतीपूर्ण किरदार चुने—फ़िज़ा (2000) में घायल बहन का दर्द, ज़़ुबेदा (2001) में ट्रैजिक राजकुमारी का रूप, और शक्ति: द पावर (2002) में ग्रामीण पृष्ठभूमि की माँ; इन सभी ने यह सिद्ध किया कि करिश्मा केवल कॉमिक‑कॉमर्शियल फ़ॉर्मूलों तक सीमित नहीं हैं। - निजी जीवन व विराम
2003 में करिश्मा ने दिल्ली‑निवासी उद्यमी संजय (सुंजय) कपूर से विवाह किया। 2005 में बेटी समायरा और 2010 में पुत्र कियान राज का जन्म हुआ। पारिवारिक दायित्वों के चलते उन्होंने फ़िल्मों से लंबा विराम लिया। वर्ष 2016 में उनका तलाक़ पारस्परिक सहमति से पूरा हुआ। दुखद रूप से 12 जून 2025 को सुंजय कपूर का ब्रिटेन में पोलो खेलते समय आकस्मिक निधन हो गया, जिसने अभिनेत्री और उनके बच्चों को गहरा सदमा पहुँचाया - वापसी के प्रयास व डिजिटल दौर
उद्यान‑काल के बाद उन्होंने 2012 की डेंजरस इश्क़ के साथ सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की, जो 3‑D में बनी एक प्रयोगात्मक थ्रिलर थी। यद्यपि फ़िल्म व्यवसायिक रूप से असफल रही, करिश्मा की कोशिशों को सराहा गया। 2020 में ज़ी5‑ALTBalaji की वेब‑सीरीज़ मेंटलहुड ने उनकी डिजिटल पारी का उद्घाटन किया। उसी समय उन्होंने विज्ञापन, फैशन शो और टीवी गेस्ट अपीयरेंस के ज़रिए भी प्रशंसकों से जुड़े रहना जारी रखा। - हाल के व आगामी प्रोजेक्ट्स (2024–2025)
मर्डर मुबारक (रिलीज़: 15 मार्च 2024) ने उन्हें एक जिज्ञासापूर्ण कैमियो में दिखाया
अबिनय देव के निर्देशन में बनी मर्डर‑मिस्ट्री वेब‑सीरीज़ Brown में उनका केन्द्रीय किरदार बहुचर्चित है; इस सीरीज़ के ज़रिए वह लंबे अंतराल के बाद मुख्य भूमिका में लौट रही हैं
2025 नेटफ्लिक्स स्लेट का ख़ास हिस्सा Dining With The Kapoors है, जहाँ करिश्मा पूरे कपूर परिवार के साथ पर्दे पर पारिवारिक विरासत और खाना‑फ़िल्मों का मेल प्रस्तुत करती दिखेंगी
अप्रैल 2025 के Lakmē Fashion Week × FDCI में उन्होंने Satya Paul के लिए मोनोक्रोम पावर साड़ी पहनकर रैम्प पर तहलका मचाया, जो उनके सतत फैशन‑अंदाज़ का प्रमाण है
- अभिनय‐शैली व विशेषताएँ
करिश्मा की USP उनका ऑल‑राउंड परफ़ॉर्मेंस है—चुलबुली कॉमेडी टाइमिंग, मन को छू लेने वाले भाव‑प्रदर्शन और उत्कृष्ट नृत्य। राज कपूर‑परंपरा की विरासत होने के बावजूद उन्होंने अभिनय को अध्ययन की तरह लिया, अलग‑अलग निर्देशकों (यश चोपड़ा, डेविड धवन, श्याम बेनेगल, धमेंद्र दर्शन, विक्रम भट्ट) के साथ काम करके अपने हुनर का विस्तार किया। - पुरस्कार व सम्मान
फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री: राजा हिंदुस्तानी (1996)
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (सह‑अभिनेत्री): दिल तो पागल है (1998)
आईफ़ा, ज़ी सिने, स्क्रीन अवॉर्ड्स सहित अनेक सम्मानों में नामांकन व जीत
करिश्मा की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि 1990‑के दशक में उनके नाम के घरेलू उत्पादों (पोस्टर, स्टिकर, डॉल्स) की बाढ़ सी आ गई थी, और आज भी सोशल मीडिया पर “#ForeverLolo” ट्रेंड बना रहता है। - ब्रांड एंडोर्समेंट व परोपकार
वे Lux, Pepsi, Kellogg’s, Garnier इत्यादि की ब्रांड‑अम्बैसडर रह चुकी हैं। परोपकार के मोर्चे पर करिश्मा ने शिक्षा‑केंद्रित NGOs, कैंसर उपचार फंडरेज़िंग और महिला स्वास्थ्य अभियानों का समर्थन किया है। UNICEF के कुछ अभियानों में भी वे अतिथि‑वक्ता रही हैं। - व्यक्तित्व व निजी रुचियाँ
ऑफ़‑स्क्रीन करिश्मा शांत‑मिज़ाज और पारिवारिक इंसान मानी जाती हैं। उन्हें किताबें पढ़ना, योग, और ट्रैवल फ़ोटोग्राफ़ी पसंद है। करीना के साथ उनकी बहन‑बॉन्डिंग सोशल मीडिया पर अक्सर चर्चा में रहती है—दोनों बहनें त्योहार, फ़ैमिली ब्रंच या मालदीव वेकेशन की झलकियाँ साझा करती रहती हैं। - विरासत और प्रभाव
एक पक्ष से, करिश्मा कपूर 1990‑के दशक की ग्लैमरस फ़िल्मों का चेहरा हैं; दूसरे पक्ष से, फ़िज़ा जैसी फ़िल्म में सशक्त, संवेदनशील बहन की छवि भी वही उभारती हैं। उन्होंने यह साबित किया कि कपूर घराने की स्त्रियाँ भी व्यावसायिक सिनेमा में ‘न्यू एज’ नायिका का भार उठा सकती हैं। उनकी राह ने करीना, आलिया भट्ट, कियारा आडवाणी जैसी अभिनेत्रियों को बड़े व व्यावसायिक सिनेमा के बीच संतुलन साधने की प्रेरणा दी। - समकालीन प्रासंगिकता
पच्चीस‑तीस वर्षों के करियर के बाद भी करिश्मा फ़ैशन शो, रीयलिटी टीवी, ओटीटी और फ़िल्म—सभी माध्यमों में सक्रिय हैं। एक्स‑हस्बैंड की हालिया दुखद मृत्यु के बीच उन्होंने परिवार और करियर, दोनों को संतुलित रखते हुए यह दर्शाया कि सिनेमा स्टार भी संवेदनशील इंसान होता है। आने वाले समय में Brown और Dining With The Kapoors जैसे प्रोजेक्ट्स उनकी दूसरी पारी का स्वरूप तय करेंगे। - निष्कर्ष
करिश्मा कपूर का सफ़र नारी‑केंद्रित भूमिकाओं, प्रयोगवादी प्रयासों और डिज़िटल युग की नई खोजों से भरा है। बचपन से कैमरे के सामने पली‑बढ़ी इस अदाकारा ने स्टार‑संतान की छवि तोड़कर मेहनत, निरंतरता और आत्म‑पुनरावृत्ति के बल पर अपनी विशिष्ट पहचान बनाई। अपनी अदाकारी, स्टाइल और गरिमा से उन्होंने भारतीय दर्शकों के दिलों में स्थायी जगह बनाई है और यह यात्रा अभी जारी है।